पेरिस। वैज्ञानिकों का कहना है कि पूरी दुनिया में आतंक का पर्याय बना बर्ड फ्लू का एच-5-एन1 स्ट्रेन गर्भनाल के रास्ते मां से भ्रूण में जा सकता है।
ब्रिटिश पत्रिका द लांसेट में प्रकाशित एक अनुसंधान रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक संक्रमण में आए 60 प्रतिशत लोगों की जान ले चुकी इस बेहद खतरनाक प्रजाति के विषाणु वयस्कों में फेफड़े के अतिरिक्त आंत समेत दूसरे अंगों में भी फैल सकते हैं।
इस खोज से वैज्ञानिकों की चिंताएं बढ़ गई हैं कि शरीर में रोग का फैलाव कैसे हो सकता है। बीजिंग यूनिवर्सिटी के जियांग गू के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के एक दल ने बर्ड फ्लू से मरे दो वयस्कों के पोस्टमार्टम का अध्ययन किया है। उनमें से एक पुरुष और एक महिला है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार एच-5-एन1 बर्ड फ्लू की पहचान पहली बार 1997 में हुई। उसके बाद से इससे दुनिया भर में 328 लोगों के संक्रमित होने की खबर है। उनमें से 200 लोगों की मौत हो गई।
चीन में अभी तक एच-5-एन1 बर्ड फ्लू से संक्रमण के 25 मामले दर्ज किए गए हैं। उनमें से 16 लोगों की मौत हो गई। माना जाता है कि एच-5-एन1 बर्ड फ्लू पहली बार दक्षिणी चीन के गुआंगदोंग प्रांत में पोल्ट्री फार्म में सामने आया।
अभी तक जो लोग भी एच-5-एन1 बर्ड फ्लू से संक्रमित हुए हैं उनमें से ज्यादातर का संपर्क संक्रमित कुक्कुट से रहा है। बहरहाल मानव से मानव में इसके रोगाणुओं के संप्रेषण की भी कुछ रिपोर्ट मिली हैं।
वैज्ञानिकों को यह अंदेशा सता रहा है कि बर्ड फ्लू के विषाणु इस तरह से उत्परिवर्तित हो जा सकते हैं कि वे मानव से मानव में उनका संक्रमण आसानी से हो जाए। अगर ऐसा हुआ तो 1918 जैसी महामारी की स्थिति पैदा हो सकती है जब दुनिया भर में दो करोड़ लोग मारे गए थे।
वैज्ञानिकों ने इस अनुसंधान के क्रम में न सिर्फ फेफडे़ में बल्कि ट्रैकिया में रोग से लड़ने वाली लिंफ नोड की टी कोशिकाओं और मस्तिष्क न्यूरोन में विषाणु की आनुवंशिक सामग्री और एंटीजेंस पाए। वैज्ञानिकों ने गर्भनाल के साथ ही भ्रूण के फेफड़े प्रतिरोधी कोशिकाओं और जिगर की कोशिकाओं में भी विषाणु पाए।
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