शिकागो। वैज्ञानिकों ने संक्रामक और खतरनाक अवस्था में पहुंच चुके टीबी के इलाज में एंटीबायोटिक दवा के मिश्रण के अधिक कारगर होने का दावा किया है। ब्राजील और अमेरिका के टीबी विशेषज्ञों के एक दल ने अमेरिकन सोसायटी फार माइक्रोबायोलाजी में आयोजित बैठक में यह जानकारी दी।
विशेषज्ञों ने बताया कि मोक्सीफ्लोक्सेसिन नामक दवा में एंटीबायोटिक दवाओं की मात्रा तय मानक से 17 फीसदी अधिक मिलाई जाए तो टीबी का मरीज छह माह के बजाय चार माह में ही अच्छा हो सकता है। शोध के दौरान इस मिश्रण के इस्तेमाल से फेफड़े की टीबी के इलाज में 68 से 85 फीसदी तक सफलता मिली है। दुनियाभर में हर साल कम से कम 15 लाख लोगों की टीबी के कारण मौत होती है। इसमें ज्यादा संख्या विकासशील देशों के लोगों की होती है। रिसर्च टीम एक सदस्य प्रोफेसर रिचर्ड चाइसन ने बताया कि आमतौर पर टीबी के इलाज के लिए परंपरागत एथेम्बुटोल नाम की दवा इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन प्रयोग के दौरान हमने एथेम्बुटोल की जगह मोक्सीफ्लोक्सेसिन का इस्तेमाल किया। एंटीबायोटिक का मिश्रण आजकल टीबी के इलाज में इस्तेमाल हो रही दवाओं की तुलना में ज्यादा कारगर पाया गया। चाइसन द जांस होपकिंस यूनिवर्सिटी आफ मेडिसन में अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं महामारी विभाग में प्राध्यापक हैं। उन्होंने बताया कि नई दवा से शीघ्र मरीज के जल्दी ठीक होने के कारण बीमारी के संक्रमण की आशंका भी घट जाती है। टीबी के रोगियों की देखभाल करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए भी यह राहत की बात है।
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