अक्सर बच्चों के एग्जाम के दौरान पैरंट्स टीवी को बंद कर देते हैं और एक स्टडी ने इसे सही भी ठहराया है। स्टडी का कहना है कि जो बच्चे बहुत ज्यादा टीवी देखते हैं, वे पढ़ाई में फिसड्डी रह जाते हैं, खासतौर पर वे बच्चे जिनके बेडरूम में टीवी होता है।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा की गई स्टडी ने यहां तक कहा है कि ऐसे बच्चे सामाजिक रूप से भी पिछड़ जाते हैं और उनकी सेहत भी औरों की अपेक्षा कमजोर रहती है। दरअसल, जिन बच्चों के बेडरूम में टीवी होता है, वे न तो अपने खाने-पीने का ध्यान ढंग से रखते हैं और न ही पढ़ाई पर ध्यान देते हैं। साथ ही रिसर्च के दौरान यह भी पाया गया ऐसे बच्चे अपने पैरंट्स के साथ भी कम समय बिताते हैं।
रिसर्चरों का कहना है कि 15 से 18 साल की उम्र के करीब 781 किशोरों पर की गई रिसर्च में 62 फीसदी किशोरों के बेडरूम में टीवी नहीं था। रिसर्चरों को इसके नतीजे अपनी उम्मीद के मुताबिक ही मिले। उनका कहना है कि जिन बच्चों के बेडरूम में टीवी था, वे रोजाना औसतन 4 से 5 घंटे टीवी देखते थे। जिन लड़कियों के बेडरूम में टीवी था, वे औरों की अपेक्षा एक्सरसाइज पर कम ध्यान देती थीं। वे कम सब्जियां खाती थीं, जबकि सॉफ्ट ड्रिंक्स ज्यादा लेती थीं। अपने परिवार के साथ बैठकर खाने के मामले में भी वे कम समय देती थीं।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा की गई स्टडी ने यहां तक कहा है कि ऐसे बच्चे सामाजिक रूप से भी पिछड़ जाते हैं और उनकी सेहत भी औरों की अपेक्षा कमजोर रहती है। दरअसल, जिन बच्चों के बेडरूम में टीवी होता है, वे न तो अपने खाने-पीने का ध्यान ढंग से रखते हैं और न ही पढ़ाई पर ध्यान देते हैं। साथ ही रिसर्च के दौरान यह भी पाया गया ऐसे बच्चे अपने पैरंट्स के साथ भी कम समय बिताते हैं।
रिसर्चरों का कहना है कि 15 से 18 साल की उम्र के करीब 781 किशोरों पर की गई रिसर्च में 62 फीसदी किशोरों के बेडरूम में टीवी नहीं था। रिसर्चरों को इसके नतीजे अपनी उम्मीद के मुताबिक ही मिले। उनका कहना है कि जिन बच्चों के बेडरूम में टीवी था, वे रोजाना औसतन 4 से 5 घंटे टीवी देखते थे। जिन लड़कियों के बेडरूम में टीवी था, वे औरों की अपेक्षा एक्सरसाइज पर कम ध्यान देती थीं। वे कम सब्जियां खाती थीं, जबकि सॉफ्ट ड्रिंक्स ज्यादा लेती थीं। अपने परिवार के साथ बैठकर खाने के मामले में भी वे कम समय देती थीं।
जिन लड़कों के बेडरूम में टीवी होता था, वे क्लास में औरों के मुकाबले पिछड़े पाए गए। खाने के मामले में भी उनका हाल काफी कुछ उन्हीं लड़कियों जैसा था जिनके बेडरूम में टीवी था। ऐसे लड़के अपने परिवार के साथ भी कम समय बिताते थे। प्रमुख रिसर्चर डेहिया बार-एंडरसन ने कहा, रिसर्च के दौरान हमें लगा कि पैरंट्स द्वारा अपने बच्चों को बहुत ज्यादा टीवी देखने पर मना करना असल में सही है। डेहिया बताते हैं कि आमतौर पर पैरंट्स जब घर में नया टीवी लाते हैं, तो पुराने को बच्चों के कमरे में रख देते हैं। ऐसा करना बच्चों के लिए बिल्कुल सही नहीं है।
3 Comments
आपका ब्लाग बहुत अच्छा लगा। अंग्रेजी में तो स्वास्थ्य पर असीमित सामग्री है; किन्तु हिन्दी और भारतीय भाषाओं में विश्वसनीय हिन्दी स्वास्थ्य सामग्री का अभी भी अभाव है।
आप जैसे योग्य लोग जब हिन्दी में लिखेंगे तो हिन्दी और हिन्दुस्तान की जनता का कल्याण हो सकेगा।
ऐसे ही लिखते रहें। इसी लगे आपसे एक आग्रह करूंगा कि हिन्दी विकिपीडिया पर हिन्दी में मेडिकल विषयों पर लिखें। ऐसे ही योगदानों से हिन्दी-विकिपीडिया के रूप में धीरे-धीरे हिन्दी में भी सभी विषयों का विश्वकोष तैयार हो जायेगा।