लंबे वक्त से अपेंडिक्स को शरीर में गैरजरूरी समझा जाता रहा है। डॉक्टर इसका कोई काम नहीं पाते हैं। सर्जन इसे हटाने में भलाई समझते हैं। लोग भी अपेंडिक्स के हटाए जाने पर अच्छा महसूस करते हैं। अब एक स्टडी बताती है कि अपेंडिक्स का संबंध मनुष्य के पाचन तंत्र में बैक्टीरिया की बड़ी मात्रा जमा होने से है। शरीर में जितनी कोशिकाएं होती हैं, उससे ज्यादा बैक्टीरिया होते हैं। ये बैक्टीरिया भोजन पचाने में सहायक होते हैं। रोगों के कारण कभी-कभी बैक्टीरिया का यह समूह मर जाता है या बाहर निकल जाता है। ऐसी अवस्था में अपेंडिक्स का काम पाचन तंत्र को मजबूत करना होता है। यह स्टडी जर्नल ऑफ थियरेटिकल बायॉलजी में प्रकाशित हुई है। इस स्टडी के लेखकों में एक बिल पार्कर कहते हैं कि यह बैक्टीरिया के लिए किलेबंदी का काम करता है। इसकी मौजूदगी की जगह इस बात को साबित करती है। यह बड़ी आंत में उस जगह के ठीक नीचे होता है, जहां से भोजन और कीटाणुओं का एकतरफा बहाव होता है। अपेंडिक्स की आकार जब बढ़ जाए तो समझिए कि बैक्टीरिया की फैक्टरी बन गई, जहां अच्छे कीटाणु पलते हैं। आज भले ही अपेंडिक्स की जरूरत न महसूस होती हो, महामारियों के जमाने में यह काफी उपयोगी हुआ करता था। लेकिन आज भी इसके कारण दर्द हो तो इसे हटवा देना चाहिए, क्योंकि यह जान ले सकता है।
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