लोगों से मिलना जुलना बहुत अच्छी बात है। आखिरकार बचपन से सीखते पढ़ते और देखते आए हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। लेकिन कहीं सोशल होने के फेर में ही आपके शरीर पर चर्बी की परतें तो नहीं चढ़ रही हैं। हालिया रिसर्च बताती है कि जो लोग बहुत पार्टी करते हैं या लोगों से मिलते-जुलने और ग्रुप में वक्त बिताने में यकीन करते हैं वो चुपचाप अपने में सिमटे रहने वाले लोगों की तुलना में कहीं ज्यादा मोटे होते हैं या इसकी आशंका कहीं ज्यादा होती है। जापान में आउटिंग और मोटापे के संबंध को जांचने के लिए एक स्टडी की गई। इसके लिए नॉर्थ ईस्ट जापान के 40 से 64 की उम्र के बीच के लगभग 30 हजार लोगों से सवाल जवाब किया गया। इसकी रिपोर्ट साइकोमैटिक नाम के जर्नल में प्रकाशित की गई है। मोटापा जानने के लिए प्रचलित बॉडी मास इन्डेक्स (बीएमआई) के पैमाने पर इन लोगों का स्वास्थ्य मापा गया था। रिपोर्ट के मुताबिक तफरी के लिए बाहर जाने वाले लोगों में बीएमआई 25 तक होने की बहुत ज्यादा आशंका रहती है। इन लोगों को मोटापा बढ़ाने वाले बाकी फैक्टर जैसे स्मोकिंग वगैरह से दूर रखा गया और इसके बाद फैट ग्रोथ रेट देखी गई। जो लोग काम के अलावा ज्यादातर वक्त घर के बाहर बिताते हैं और लोगों से घुलने मिलने में यकीन रखते हैं उनमें अंतर्मुखी स्वभाव के लोगों के मुकाबले मोटापे की आशंका 1.73 गुना ज्यादा होती है जबकि महिलाओं में ये अनुपात थोड़ा सा कम 1.53 है। इस रिपोर्ट में चिंता करने की आदत के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव को भी जांचा गया। इसके मुताबिक जो लोग ज्यादा सोचते हैं और सोच-सोचकर परेशान रहते हैं उनका वजन औसत से भी कम रहता है। आंकड़े बताते हैं कि ज्यादा बेचैन रहने वाले लोग बीएमआई पर 18.5 के नीचे ही ठहरते हैं। यानी बेफिक्र रहने वालों की तुलना में उनका वजन सामान्य से कम रह जाने की आशंका दोगुनी होती है।
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