देश में मोटापे की समस्या लगातार बढ़ रही है और इस वजह से लोगों की सेहत भी खूब बिगड़ रही है। इसके कई खतरनाक नतीजे सामने आ रहे हैं और इन्हीं में से एक है टाइप 2 डायबीटीज के मामलों में बढ़ोतरी। यह स्थिति देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के तमाम देशों की है। ब्रिटेन में करीब 30 लाख लोग इस समस्या से पीड़ित हैं और इससे सरकारी खजाने पर करीब 3.5 अरब पौंड सालाना का भार पड़ रहा है। अनुमान है कि यह रकम 5 साल में दोगुनी हो जाएगी। कहा जा रहा है कि अगर खान-पान में संयम बरता जाए, तो दुनिया भर में बढ़ रही डायबीटीज के मरीजों की संख्या काबू में आ सकती है। और वह भी, दवाइयों के इस्तेमाल के बिना।
एक्सपर्ट्स डायबीटीज और खान-पान में सीधा संबंध बताते हैं। यही वजह है कि तमाम डॉक्टर्स डायबीटीज के मरीजों को बेहतर और संयमित खान-पान के जरिए ब्लड शुगर कंट्रोल में लाने की सलाह देते हैं, लेकिन एक नई रिसर्च में दावा किया गया है कि सही डाइट लेकर डायबीटीज के मरीजों की दवाओं पर निर्भरता पूरी तरह खत्म हो सकती है। टाइप 2 डायबीटीज तब होता है, जब बॉडी इंसुलिन के प्रति रेजिस्टेंट हो जाती है। ऐसा होने पर खून में शुगर का लेवल बढ़ता जाता है। जिन लोगों का वजन ज्यादा है या जो लोग ज्यादा शारीरिक मेहनत नहीं करते और खास कर जिनके पेट के आसपास काफी फैट जमा हो, उनके लिए खतरा ज्यादा है। आगे चलकर यह स्थिति हार्ट अटैक, किडनी में खराबी, अंधापन, ब्लड वेसेल्स की खराबी आदि गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है। शरीर में इंसुलिन का उत्पादन शुरू कराने या बढ़ाने के लिए कई दवाओं का सहारा लिया जाता है, लेकिन जब ये दवाएं कारगर साबित नहीं होती हैं, तब बाहर से इंजेक्शन के जरिए इंसुलिन डालना होता है। पर डाइट और डायबीटीज के संबंध को लेकर सामने आई नई जानकारी के मुताबिक, सही खान-पान और अच्छी लाइफस्टाइल के जरिए इन सारी स्थितियों से छुटकारा पाया जा सकता है। यानी दवाओं या इंसुलिन पर निर्भरता खत्म की जा सकती है। 18,000 से भी ज्यादा डायबीटिक मरीजों का इलाज करने वाली नॉर्वे की एक्सपर्ट डॉ. फेडॉन लिंडबर्ग बताती हैं, 'मेरे कई ऐसे मरीज थे, जिन्होंने संतुलित खान-पान और संयमित जीवन जीकर दवाओं पर अपनी निर्भरता खत्म कर ली। यहां तक कि जो मरीज रोज 200 यूनिट तक इंसुलिन लेते थे, उन्हें भी इंसुलिन लेने की जरूरत नहीं रह गई।' कई दूसरे डॉक्टर भी इसे सही ठहराते हैं। अमेरिकी एक्सपर्ट डॉ. नील बर्नार्ड कहते हैं, 'जीरो एनिमल फैट वाले डाइट के जरिए ब्लड शुगर को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। इस तरह शरीर में इंसुलिन भी रेग्युलेट होता है और मरीज को दवाइयां कम मात्रा में लेनी पड़ती हैं। कुछ मामलों में तो दवाइयों से पूरी तरह छुटकारा भी मिल जाता है।'
एक्सपर्ट्स डायबीटीज और खान-पान में सीधा संबंध बताते हैं। यही वजह है कि तमाम डॉक्टर्स डायबीटीज के मरीजों को बेहतर और संयमित खान-पान के जरिए ब्लड शुगर कंट्रोल में लाने की सलाह देते हैं, लेकिन एक नई रिसर्च में दावा किया गया है कि सही डाइट लेकर डायबीटीज के मरीजों की दवाओं पर निर्भरता पूरी तरह खत्म हो सकती है। टाइप 2 डायबीटीज तब होता है, जब बॉडी इंसुलिन के प्रति रेजिस्टेंट हो जाती है। ऐसा होने पर खून में शुगर का लेवल बढ़ता जाता है। जिन लोगों का वजन ज्यादा है या जो लोग ज्यादा शारीरिक मेहनत नहीं करते और खास कर जिनके पेट के आसपास काफी फैट जमा हो, उनके लिए खतरा ज्यादा है। आगे चलकर यह स्थिति हार्ट अटैक, किडनी में खराबी, अंधापन, ब्लड वेसेल्स की खराबी आदि गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है। शरीर में इंसुलिन का उत्पादन शुरू कराने या बढ़ाने के लिए कई दवाओं का सहारा लिया जाता है, लेकिन जब ये दवाएं कारगर साबित नहीं होती हैं, तब बाहर से इंजेक्शन के जरिए इंसुलिन डालना होता है। पर डाइट और डायबीटीज के संबंध को लेकर सामने आई नई जानकारी के मुताबिक, सही खान-पान और अच्छी लाइफस्टाइल के जरिए इन सारी स्थितियों से छुटकारा पाया जा सकता है। यानी दवाओं या इंसुलिन पर निर्भरता खत्म की जा सकती है। 18,000 से भी ज्यादा डायबीटिक मरीजों का इलाज करने वाली नॉर्वे की एक्सपर्ट डॉ. फेडॉन लिंडबर्ग बताती हैं, 'मेरे कई ऐसे मरीज थे, जिन्होंने संतुलित खान-पान और संयमित जीवन जीकर दवाओं पर अपनी निर्भरता खत्म कर ली। यहां तक कि जो मरीज रोज 200 यूनिट तक इंसुलिन लेते थे, उन्हें भी इंसुलिन लेने की जरूरत नहीं रह गई।' कई दूसरे डॉक्टर भी इसे सही ठहराते हैं। अमेरिकी एक्सपर्ट डॉ. नील बर्नार्ड कहते हैं, 'जीरो एनिमल फैट वाले डाइट के जरिए ब्लड शुगर को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। इस तरह शरीर में इंसुलिन भी रेग्युलेट होता है और मरीज को दवाइयां कम मात्रा में लेनी पड़ती हैं। कुछ मामलों में तो दवाइयों से पूरी तरह छुटकारा भी मिल जाता है।'
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