महासागर अब कार्बन डाई ऑक्साइड सोखने की क्षमता खो रहे हैं। एक स्टडी की इस रिपोर्ट से ग्लोबल वॉर्मिंग के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं। गौरतलब है कि महासागर प्राकृतिक तरीके से गैस सोखने का काम करते हैं। ब्रिटिश साइंटिस्टों की एक रिपोर्ट कहती है कि नॉर्थ अटलांटिक में पिछले 10 सालों में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा आधी रह गई है।
स्टडी से जुड़े ईस्ट एंजिला यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एंड्र्यू वॉटसन कहते हैं कि वातावरण में इस गैस की मात्रा ज्यादा रहने से ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ सकती है। ऐसा लग रहा है कि सोखने की प्रक्रिया हमारी सोच से कहीं ज्यादा नाजुक है। लगातार गर्म होते मौसम के कारण महासागर का तल ज्यादा ठंडा नहीं हो पाता। इससे कार्बन डाई ऑक्साइड ज्यादा अंदर तक नहीं जा पाता। एक प्रस्ताव यह है कि पाइप का नेटवर्क बिछाकर पानी का सर्कुलेशन बढ़ाया जाए। लेकिन वॉटसन को इस योजना पर संदेह है।
स्टडी से जुड़े ईस्ट एंजिला यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एंड्र्यू वॉटसन कहते हैं कि वातावरण में इस गैस की मात्रा ज्यादा रहने से ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ सकती है। ऐसा लग रहा है कि सोखने की प्रक्रिया हमारी सोच से कहीं ज्यादा नाजुक है। लगातार गर्म होते मौसम के कारण महासागर का तल ज्यादा ठंडा नहीं हो पाता। इससे कार्बन डाई ऑक्साइड ज्यादा अंदर तक नहीं जा पाता। एक प्रस्ताव यह है कि पाइप का नेटवर्क बिछाकर पानी का सर्कुलेशन बढ़ाया जाए। लेकिन वॉटसन को इस योजना पर संदेह है।
3 Comments
इसमें काम की सूचनाये हैं। अंग्रेजी में इस तरह की बहुत सूचना है पर हिन्दी में कम है। हिन्दी में और भी लिखिये। हिन्दी फीड एग्रेगेटरों के यहां रजिस्टर करवाइये ताकि सबका ज्ञानवर्धन हो सके।
I want to see find out the best way to transliterate :-)