'ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट' के शोधकर्ताओं का कहना है कि कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती मात्रा आश्चर्यजनक नहीं है लेकिन जिस गति से ये बढ़ रही है, वो अत्यंत चिंताजनक है.
'ग्लोब कार्बन प्रोजेक्ट' के कुछ वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन पर बनी अंतरसरकारी समिति यानी आईपीसीसी ( इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज) से भी जुड़े हुए हैं.
दो प्रमुख कारण
शोध के अनुसार वर्ष 2000 के बाद ग्रीनहाउस गैस कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में उम्मीद से 35 प्रतिशत अधिक तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है जो गहरी चिंता का विषय है.
यह नया शोध अमरीका की 'नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस' में प्रकाशित हुआ है। इसमें बढ़ती ग्रीनहाउस गैसों के लिए दो प्रमुख कारण गिनाए गए हैं.
इसमें जीवाश्म ईंधनों के लापरवाही से इस्तेमाल के साथ-साथ पृथ्वी द्वारा ग्रीनहाउस गैसों को सोखने की क्षमता में आ रही कमी को बढ़ रही ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा के लिए ज़िम्मेदार बताया गया है.
रिपोर्ट में चीन का विशेष तौर पर नाम लिया गया है जो कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन का अधिक से अधिक उपयोग कर रहा है.
आईपीसीसी के सदस्य और इस रिपोर्ट को लिखने वाले कोरिन ले क्वेरे का कहना है कि दक्षिणी समुद्र की हवाओं में आ रहे परिवर्तन और सूखे के कारण समुद्र और जंगलों की कार्बन डाइऑक्साइड सोखने की क्षमता में कमी आ रही है.
क्वेरे के अनुसार बदलते मौसम के साथ समुद्र गर्म हो रहे हैं और उनकी कार्बन डाइऑक्साइड सोखने की क्षमता कम हो रही है.
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