कोलकाता। एक शोध के मुताबिक आई-पॉड, माइक्रोवेव ओवन या उच्च रफ्तार वाले फूड प्रोसेसर से निकलने वाली विद्युत-चुंबकीय तरंगें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। इसलिए अगली बार जब आप आई-पॉड, माइक्रोवेव ओवन या उच्च रफ्तार वाले फूड प्रोसेसर का इस्तेमाल करे तो आप इसका खयाल रखें कि आप पर इन उपकरणों से पैदा होने वाले नुकसानदेह विद्युत-चुंबकीय विकिरण का असर न पड़े।
दरअसल, ईएमआर से चिड़चिड़ापन, अनिद्रा जैसी समस्याएं पैदा हो सकती है जो स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती है। एंटी-ईएमआर टेक्नोलॉजी क्षेत्र की अग्रणी कंपनी कोजेंट ईएमआर सॉल्युशंस लिमिटेड द्वारा किए गए एक शोध के मुताबिक ऐसी विद्युत चुंबकीय तरंगें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। यह कंपनी ग्लोबल वेलनेस फाउंडेशन की सदस्य है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अधिक इस्तेमाल से ये तरंगें स्वास्थ्य को अधिक नुकसान पहुंचा सकती है। रक्षा, शोध एवं विकास संगठन के चार वैज्ञानिकों की मदद से किए गए शोध में कहा गया है कि दिल्ली, मुंबई और बेंगलोर जैसे शहरों में ईएमआर की दर सीमा से काफी अधिक है।
कोजेंट ईएमआर के सीईओ जफर हक ने कहा कि विद्युत-चुंबकीय विकिरण निश्चित तौर पर मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है, क्योंकि ऐसे विकिरण ऊतकों में छेद कर शरीर के अंदर पहुंचने की क्षमता रखते है। ये ऊतकों को नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखते है। उनके मुताबिक ईएमआर शरीर में ऊर्जा संचरण और रक्त संचार को प्रभावित करते है। इससे रक्त कोशिकाओं की सामान्य क्रियाएं प्रभावित होती है। इससे चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, शुक्राणु की कमी, कैंसर, स्वभाव के हिंसक हो जाने जैसी समस्याएं पैदा हो सकती है। उन्होंने बताया कि अगले महीने कोलकाता में भी ऐसा ही एक अध्ययन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मोबाइल फोन के टावर भी नुकसानदेह ईएमआर के स्त्रोत है।
वैसे, चिकित्सा विशेषज्ञ इस रिपोर्ट से सहमत नहीं है। उनका कहना है कि अभी तक ऐसी कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है कि मोबाइल फोन और माइक्रोवेव जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। एनआरएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल में ऑनकोलोजी विभाग के प्रमुख सुबीर गांगुली कहते है कि यह सही है कि ईएमआर मानव ऊतकों को छेदने की क्षमता रखते है, लेकिन इससे स्वास्थ्य को खतरे की पुष्टि नहीं हुई है।
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