चांद पर जाने की दूसरी रेस

चाँद पर पहुंचने की मनुष्य की तमन्ना तो पूरी हो चुकी है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में एक बार फिर चाँद पर पहुंचने की रेस हो रही है जिसके पीछे अत्यंत मंहगे ईंधन हीलियम थ्री का हाथ है.

तीन साल पहले अमरीका और उसके बाद पिछले साल भारत और चीन ने चाँद पर यान भेजने की घोषणा की है.

भारत 2012 में चंद्रयान भेजना चाहता है, और 2020 के आस पास चाँद पर पहले भारतीय को.
लेकिन आखिर ऐसी क्या बात है कि हर देश चाँद मिशन के लिए उतावला है. क्या हीलियम थ्री ऐसी कमाल की चीज़ है कि भारत को भी करोड़ों रुपए ख़र्च कर चाँद पर जाना चाहिए?

अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा कहते हैं हीलियम थ्री भविष्य का ईंधन है.

वो कहते हैं,“जिस तरह भारत ने अंटार्कटिक में पैसा लगाया जिसके फ़ायदे हमें पहुँचने लगे हैं उसी तरह चाँद पर पहुँचने के लिए भी हमें पैसा लगाना चाहिए. अगर अंतरिक्ष में भारत ने आज बड़ा पैसा लगाया तो हमारी आने वाली पीढ़ियाँ उसका फ़ायदा उठाएँगी.”

नासा में काम कर रहे भारतीय मूल के वैज्ञानिक अमिताभ घोष की राय थोड़ी अलग है “ अभी तकनीक के लिहाज़ से बहुत काम करना बाक़ी है. चाँद से हीलियम थ्री लाने के लिए बहुत काम करने की ज़रूरत है. चाँद की सतह, उसमें हीलियम की मात्रा, हीलियम को निकालने की प्रक्रिया, चाँद पर जाने और लौटने के सस्ते तरीके इज़ाद करना, चाँद के गुरुत्वाकर्षण पर सही काम करने वाले रोबोट बनाना, वहाँ कॉलोनी बनाकर मानव के रहने के लिए व्यवस्था करना कोई हंसी खेल नहीं है.”

क्या आप जानते हैं कि चाँद पर एक मिनट रहने का खर्च कितना है. लगभग पाँच करोड़ रुपए.

यही कारण है कि कई लोग हीलियम थ्री के लिए पैसा लगाने को पागल आदमी की कल्पना तक क़रार देते हैं.
क्या है हीलियम थ्री


चांद

बीबीसी ने हीलियम थ्री के बारे में डॉक्टर हैरिसन श्मिड से बात की. श्मिड 1972 के अमरीकी अपोलो 17 मिशन के ज़रिए चाँद पर चलने वाले एकमात्र भूगर्भशास्त्री हैं.

डॉक्टर श्मिड का कहना है,“ ये किसी पागल आदमी की कल्पना नहीं है. ये एक सच्चाई है. चाँद से हीलियम थ्री लाकर ऊर्जा निकाली जा सकती है. अमरीका 24 अरब डॉलर ख़र्च करके चाँद पर पहुँचा और फिर उसने ये कार्यक्रम बंद कर दिया. ऐसा नहीं किया होता तो आज हम इस क्षेत्र में कहीं आगे होते.”
ब्रिटेन के कल्हम साइंस सेंटर के डॉक्टर डेविड वॉर्ड ने बीबीसी को बताया कि हीलियम थ्री से न्यूक्लियर फ़्यूज़न के ज़रिए बड़ी ऊर्जा निकाली जा सकती है.

वो बताते हैं,“ इसके लिए बड़ी मशीन की ज़रुरत होती है. इसमें एक समय में एक ग्राम के सौंवें हिस्से के बराबर ईंधन डाला जाता है. इस ईंधन का एक किलो उतनी उर्जा देता है जितना पेट्रोलियम का 10,000 टन देगा. और इससे प्रदूषण भी बहुत ही कम होगा.”

वैज्ञानिकों का कहना है कि चाँद पर इतना हीलियम थ्री है कि उससे सैंकड़ों वर्षों तक पृथ्वी की ऊर्जा ज़रूरतें पूरी की जा सकती हैं.

यानी चाँद पर कई रॉकेट भेजकर हीलियम थ्री पृथ्वी पर लाया जा सकता है .

संसाधनों की लड़ाई
विस्कॉन्सिन-मेडिसन विश्वविद्यालय के जेरी कुल्चिन्स्की लंबे समय से हीलियम थ्री पर शोध कर रहे हैं.

प्रोफ़ेसर कुल्चिंस्की कहते हैं कि अगर चाँद पर सोना होता तो उसे पृथ्वी पर लाना महंगा पड़ता लेकिन हीलियम थ्री सोने से भी कई गुना महंगी होगी इसीलिए उसे पृथ्वी पर लाना आर्थिक दृष्टि से भी फ़ायदेमंद हो सकता है.

और फिर ये कौन तय करेगा कि चाँद के कौन से हिस्से पर किस देश का हक़ होगा?
जानकार कहते हैं कि तेल के लिए हम युद्ध लड़ते रहे हैं और भविष्य में वही स्थिति हीलियम थ्री और चाँद की हो सकती है.

भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा कहते हैं कि ये सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि चाँद से लाई जाने वाली चीज़ों का इस्तेमाल पूरी दुनिया कर सके.

वो कहते हैं “ हमने जिस तरह धरती पर सीमाएँ बना रखी हैं, अपने अपने दायरों में संसाधनों को क़ैद कर रखा है, तेल के लिए, संसाधनों के लिए दुश्मनियाँ पाल रखी हैं, इनसे हमें बचना चाहिए. चाँद से जब हीलियम थ्री लाया जाएगा या दूसरे खनिज लाए जाएँगे तब भी यही सवाल उठेंगे. हमें सोचना चाहिए कि भविष्य में जब हम चाँद पर जाएँ तो उसके संसाधनों का उपयोग सभी के लिए हो.”

अब सारी प्रमुख शक्तियाँ अपने अपने उपग्रह चाँद के पास या वहाँ उतारकर आगे की जाँच कर रही हैं. इनके आधार पर ये स्पष्ट होगा कि भविष्य में धरती की ऊर्जा की ज़रूरतें चाँद पूरी कर सकेगा या नहीं.

Post a Comment

2 Comments

sunil mungekar said…
this is very useful post i am looking for seo related blogs, you can also visit my pavitravivah | matrimony | anandmaratha | free matrimony
Tremendous to be stumbling up to your web-site once more, it has been nearly a year for me. Anyhow, this is the site post that i’ve been searching for so lengthy. I can use this report to end my assignment in the school, along with it has identical topic resembling your short paragraph. Thank you, incredible share.